मुख़र्जी नगर अग्निकांड: इन ‘दुर्घटनाओं’ से हम अभ्यस्त है

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पिछले हफ्ते मुखर्जी नगर की एक कोचिंग संस्थान में आगजनी की घटना के बाद छत से लटक कर कूदकर गिरते बच्चों का जो विडिओ सामने आया वो काफी भयावह है। इस देश में इस तरह की घटनाएं सामान्य हो गई हैं। साथी उत्कर्ष के कुछ सवाल…

इस तरह की घटनाओं के बाद किसी भी संस्था या व्यक्ति की कोई भी जवाबदेही तय नहीं होती। फिर चाहे यह मुखर्जी नगर में घटित कल की घटना हो या ओड़िशा के बालासोर जिले में पिछले दिनों हुआ रेल हादसा या फिर पिछले दिनों दिल्ली में ही मुंडका गारमेंट फैक्टरी में इलेक्ट्रॉनिक शार्ट सर्किट से लगी आग हो जिसमे 50 से ज्यादा लोगों की जाने गई। भारतीय समाज दुर्घटनाओं का अभ्यस्त किया जा चुका समाज है। अतः इसके लिए भयावह से भयावह घटना भी सामान्य घटना से ज्यादा नहीं है। यह फैक्ट्री से लेकर क्लासरूम तक, और घर से लेकर ट्रैन के डिब्बे तक, हर जगह दुर्घटना का शिकार होता रहता है। लेकिन इन वास्तविक दुर्घटनाओं की तरफ इसका ध्यान न जाये इसलिए इसके सामने काल्पनिक डर का एक जाल हमेशा बिछाकर रखा गया होता है जिसमे फस कर यह वास्तविक दुर्घटनाओं को भूल सा जाता है या उसे बेहद कम तरजीह देता है। यह काल्पनिक डर है अल्पसंख्यक मुसलमानों का ,धर्म के खतरे का , लव जेहाद और ऐसे ही न जाने कितने तरह का जो हमें वास्तविक डर से दूर किये रहता है। इसलिए उत्तरकाशी में लव जेहाद के अफवाह के नाम पर तो हजारों की संख्या में लोग सड़को पर उतरकर मुस्लिम दुकानदारों को अपना घर और दुकान छोड़ने के लिए मजबूर कर देते हैं। लेकिन मुखर्जी नगर की घटना या इस तरह की तमाम दुर्घटनाओं के बाद लोगो में कोई गुस्सा नहीं नजर आता न ही कोई माँ – बाप अपने बच्चों की खातिर सड़क पर उतरेंगे। जबकि उनके बच्चों का तीसरी मंजिल से गिरते हुए विडिओ तक मौजूद है।

इस तरह के हादसों के बाद लीपा – पोती का एक दौर ऐसे आयोजित किया जाता है कि जिम्मेदार व्यक्ति या संस्था का गुनाह आसानी से छुपा लिया जाता है। पूरी घटना के बाद ऐसा इवेंट रचा जाता है कि जवाबदेही की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। रेल हादसे के बाद रेल मंत्री घटना स्थल पर भारत माता की जय का नारा लगवाते है मिडिया प्रधानमंत्री के धूप में दौरे और उनके पसीने से लथपथ काया का जिक्र इस तरह से करती है कि रेल दुर्घटना और उसकी जवाबदेही का प्रश्न पीछे छूट जाता है। और जब इस तरह का उदहारण सरकार द्वारा सेट किया जाता है तो स्वतंत्र संस्था भी अपने आपको इसी तरह के इवेंट के माध्यम से अपनी जवाबदेही से न सिर्फ खुद को बचा लेती है. साथ ही मामला आसानी से रफा – दफा भी हो जाता है।

मुखर्जी नगर में इस हादसे के बाद भी यही हुआ , संस्कृति IAS की तरफ से इस घटना के बाद एक विडिओ जारी किया गया है जिसमे इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया गया है साथ ही इस बात को शुरुवात में ही रेखांकित किया गया है या कहें कि साफ़ किया गया है कि बिल्डिंग में बहुत सारी कोचिंग की क्लासेज है सिर्फ संस्कृति IAS की ही नहीं है। ( मतलब कि संस्कृति IAS अकेले जिम्मेदार नहीं है , थोड़ी थोड़ी जिम्मेदारी सबकी है। इस तरह इस बड़ी चूक में सबकी थोड़ी थोड़ी चूक है। और इतने बड़े – बड़े संस्थनों से अगर इतनी थोड़ी – थोड़ी सी चूक हो जाती है तो उसे नजरअंदाज किया जाना चाहिए ) आगे संस्कृति IAS की तरफ से जारी विडिओ में कहा गया है कि इस घटना से बच्चो के बीच में अफरा – तफरी मच गई और कुछ बच्चे ने कांच तोड़करऑप्टिकल केबल की सहायता से बाहर निकलने के प्रयास किये और उसी कोशिश में कुछ बच्चों को चोट आई , कुछ बच्चे थोड़ी ऊंचाई से गिर गए , और उसके चलते थोड़ी सी दिक्कते आई हैं . (और इस तरह यह बहुत थोड़ी सी दिक्कत वाली घटना है चोट लगने का मुख्य कारण आग नहीं है , बल्कि उससे बचने की कोशिश है। विडिओ में देखा जा सकता है कि बच्चे दो , तीन मंजिल ऊपर से गिरते हैं और वो बिल्डिंग में लगी AC से धड़ाम से टकराते हुए भी देखे जा सकते हैं ऊपर से गिर रहा बच्चा जब निचे के बच्चे से टकराता है और दोनों धड़ाम से नीचे गिरते देखे जा सकते है। और इसे विडिओ में थोड़ी से ऊंचाई से बच्चो को गिरते हुए बताया गया है जैसे कि कोचिंग में पढ़ने वाले अध्यापक रोज सीढ़ी या लिफ्ट का प्रयोग करने के बजाय एक या दो मंजिल से कूदकर नीचे उतरते है) अब इस दुर्घटना की अच्छी बात बताई जाती है कि अच्छी बात ये रही कि किसी भी बच्चे को किसी भी प्रकार की गंभीर चोट नहीं लगी। (चूकि किसी की दुर्घटना में मौत नहीं हुई। और दो तीन मंजिल से गिरकर गंभीर चोट लगने का सवाल ही नहीं उठता ). और विडिओ में आगे बताया गया कि इस घटना के दौरान शक्तिमान के रूप में अखिलमूर्ति सर मौजूद रहे जो एक नायक के रूप में आखिरी बच्चे के निकल जाने तक वहां डटे रहे। बस यहाँ शक्तिमान के रूप में मोदी जी की जगह अखिलमुर्ति सर हैं आगे कहा गया कि अफवाहों की तरफ ध्यान न दे कारण है कि संस्कृति IAS के कई क्लासरूम है और इस घटना से सिर्फ एक क्लास रूम प्रभवित हुआ है और सिर्फ कुछ ही बच्चे इससे प्रभावित हुए है अतः आप इस क्लासरूम की तरफ ध्यान न देकर उन बहुत सारे क्लासरूम और बहुत सारे बच्चों की तरफ ध्यान दीजिये जहाँ आग नहीं लगी है। बशर्ते एडमिशन के समय उस क्लासरूम में दाखिला लेने की कोशिश कीजिये जहाँ आग लगने की सम्भावना कम हो। अंत में सभी परिजनों से ये आग्रह किया गया है कि चिंतित होने की कोई बात नहीं है चूकि जान – माल का कोई नुकसान नहीं हुआ है अतः चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है। सभी से शांति बनाये रखने के लिए कहा गया है।

संस्कृति IAS को मेरा एक सुझाव है कि आने वाले दिनों में वो एक और विडिओ जारी करे जिसमे ये बताया जाये कि यह घटना IAS एस्पिरेंट्स के लिए आगे किस तरह मददगार साबित होगी चूकि देश में चारो तरफ आग लगी ही हुई है आग से निकलने यह तरकीब सबके काम आएगी। एक नागरिक के रूप में भी और जिलाधिकारी के रूप में भी।

मुखर्जी नगर की घटना हमारे सामने तमाम सवाल खड़े करती हैं , लाखों की मोटी फीस उसूलने के बाद भी बच्चो को सुरक्षा की जगह उनके जान को खतरे में डालकर यह कारोबार फल – फूल रहा है। यह घटना दिखाती है कि मुखर्जी नगर के कोचिंग संस्थान सुरक्षा के मानदंडों पर खतरनाक स्तर तक लापरवाह है। क्या यह घटना भी अन्य घटना की तरह आई – गई हो जाएगी। क्या इस घटना के बाद शाशन , प्रशासन और कोचिंग संस्थान अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सचेत होंगे ?? क्या उक्त घटना के जिम्मेदार व्यक्ति या समूह को सजा मिलेगी ??? ये सारे सवाल अहम है लेकिन इन्हें भारतीय लोकतान्त्रिक समाज में आसानी से नजरअंदाज किया जा सकता है।

उत्कर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के छात्र है.


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